| 1. | (६) मलबद्धता रोकने के लिए मृदु विरेचक सेवन कराना चाहिए.
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| 2. | 13 इसके फल और पत्तों का रस मृदु विरेचक है ।
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| 3. | यह दूध मृदु विरेचक होता है तथा तिल्ली के रोगों में लाभकारी है।
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| 4. | पका हुआ फल मधुर, कसैला, पचने में भारी तथा मृदु विरेचक है।
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| 5. | यह इतना सौम्य और मृदु विरेचक है कि छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुरक्षित है.
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| 6. | यह तिक्त, बल्य (bitter tonic), ज्वरहर, मृदु विरेचक एवं कृमिघ्न है, तथा त्वचा के विकारों में भी प्रयुक्त होता है।
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| 7. | -मूली के ताजे पत्ते का रस डाययूरेटिक एवं मृदु विरेचक का काम करता है, अत: पथरी को बाहर निकालने में भी मददगार होता है।
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| 8. | गुण: यह हलका, रूखा, तिक्त, कटु, गर्म, वात-कफनाशक, ज्वार नाशक, मृदु विरेचक, शामक, उष्णीय और रक्तशोधक होता है।
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